शुक्रवार, 28 दिसंबर 2012

दामिनी तुझे श्रधांजलि

दामिनी तुझे श्रधांजलि

तन से तो मर गई  थी दामिनी उसी दिन
बस सरकार  उसकी  लाश को ढ़ो  रही थी
ख़ुशी है उसकी  आत्मा  अमर  हो  गई 
मुक्त उसकी आत्मा ने
ले लिया है आन्दोलन  का  रूप 
विश्वाश है  हमें
अब मुक्त उसकी आत्मा हर पल
लड़ेगी  देश के  सभी दमिनियो  के लिए
नतमस्तक  मैं दे रही हूँ
दामिनी तुझे श्रधांजलि
तू मरी  नहीं
जीत गई है
जी गई है
  मेरे अंदर
    जन जन के अंदर 
         हर दामिनी के अंदर








 
 

सोमवार, 24 दिसंबर 2012

सरकार की घिनौनी हरकत ने कर दिया है संज्ञाशून्य

कर दिया सरकार ने संज्ञाशून्य  

जीवन-मौत की लड़ाई में
नहीं पता होगी
निर्भया की हार या जीत 

मजबूत हो गई है नारी
दे दिया है अधिकार उन्हें
ऐसा कहा  सरकार ने
 बार-बार

सम्भव है इसी विचार ने
निर्भया को बना  दिया था निर्भय
उसने बचाव में अपने
उन भेरियो को काटी दांत
जिसने डाला था
उसके इज्जत पर हाथ
दांत काटना उसका
डस  गया जीवन को उसके
जीवन मौत की लड़ाई में
नहीं पता होगी
निर्भया की हार या जीत 
पर
सड़क पर  उतरे बच्चों की
रीढ़ तोडती सरकार की
घिनौनी हरकत ने
कर दिया है हमें
संज्ञाशून्य
    मजबूत हो गई है नारी
दे दिया है अधिकार उन्हें
ऐसा कहने वाली  सरकार
 के गृह मंत्री
कहते है

रविवार होते हुए भी
की मैंने बात बच्चों से

धन्यवाद
एहसान गृह मंत्री जी का
 ईश्वर
उनको

सरिये की
उस
दर्दनाक चोट के
अहसास
से बचाए
रखे
नहीं कह
सकती
मैं
कि
  यदि होती वो
बेटी उनकी  
या
होती
मनमोहन की बेटी
या
होती बहन
राहुल की
तो क्या
इतनी ही सहजता में
वो भेड़िया
सिर्फ
न्यायिक हिरासत में
पड़ा होता
क्या
ऐसे ही सरकार और पुलिस
कह रह होती
मै जल्दी ही लूंगा सही एक्शन
 नहीं कह  सकती मैं
 ये सारी बातें
क्योंकि
तब
मैं भी
सरकार की  तरह ही
घिनौनी हरकत कर बैठुँगी
एक
महिला को
नंगा
कर बैठुँगी
पर
दर्द तो होता है
धर्म कहता है
जो
भेड़िया आदमखोर हो जाए
उसे
मार डालना चाहिए
पर
हमारी सरकार
कहती है
उस आदमखोर भेड़िये
के खिलाफ
शांतिपूर्ण आन्दोलन करो
इस
बेशर्म सरकार
पे शर्म
करने में भी शर्म
आती है
तो क्या
अब फिर से

घुंघट काढ
 घर में बैठने की है बारी  
नहीं नहीं
आदमखोर भेड़िये को
गोली तो
मारनी ही होगी
चेत जाए सरकार
नहीं तो
सड़क पर
उतरी फौज
उन्हें भी
आदमखोर भेड़िये
मानकर
धर्म की
  राह अपनाएगी
और
उनको घुंघट में बैठाएगी।

                               डा रीता सिंह




शुक्रवार, 26 अक्तूबर 2012

आज का दिन  है मेरे लिए खास
आज लगा है मेरे सपनों को पंख

आज खिले है मेरे  चाहत के फूल
आज  पुलक रहे है मेरे रोम- रोम
लगता है
आज पाया है मैंने जीवन का उल्लास
पुलकित मेरा मन मयूर
आज रहा है झुम झुम
नहीं है शब्द
नहीं है भाव
आज मेरे पास कि
करूँ मै बयान 
बहुत बहुत
खास है
आज का दिन मेरे लिए     

मंगलवार, 25 सितंबर 2012

मन  की घबराहट चेहरे पर दिख जाए
दिल  की धड़कन आखों  में दिख जाए
आँखों का क्रोध नस-नस में दिख जाए
और
अंदर का दर्द आँसुओ में दिख जाए
तब
समझ लो कि
तुम इंसान हो
वरना
या तो भगवान हो या शैतान
भगवान होना इतना आसान नहीं होता
और 
शैतान हम कहलाए
इससे अच्छा है
मन  की घबराहट चेहरे पर दिख जाए
दिल  की धड़कन आखों  में दिख जाए
आँखों का क्रोध नस-नस में दिख जाए
और
अंदर का दर्द आँसुओ में दिख जाए।

रविवार, 23 सितंबर 2012

आपके जन्मदिन पर

मिली जब से मै आपसे आपसे
चाहा कुछ शब्द आपने
अपने लिए मुझसे
पर
अतिरेक ने भावनाओं के
कर दिया मौन
मेरे शब्दों को हमेशा
हलाकि
स्वतंत्र आपकी अभिव्यक्ति ने
चाहा  बार-बार तोड़ना
मेरे शब्दों के मौन को
पर
मौन मेरे शब्दों ने
रखा नियंत्रण स्वयं  पर हमेशा

माहौल ने हमारे कार्यक्षेत्र के
मेरे शब्दों को   मजबूर
रहने को मौन हमेशा

खुद को सुरक्षित रखने की
जदोजहद में
मौन रही अभिव्यकि मेरी आपके प्रति
पर
आज आपके जन्मदिन पर
चाहती हु
दू अपनी अभिव्यक्ति को
एक अंजाम
है जो
स्नेह की धारा
मेरे ह्रदय में
आपके प्रति
उसको
शब्दों का जामा पहना दु
तोड़ दू आज
शब्दों के मौन को
ताकि
प्रथम आपके
साँसों की डोर से जुड़े
 आज के खूबसूरत दिन की कड़ी में
नाम मेरा भी
जुड़ जाय हमेशा-हमेशा के लिए
जब भी
याद करे आप
खुबसूरत इस दिन को
मै  भी याद आउ साथ-साथ 
 विश्वाश  है
संबंधो के जिस डोर में
बांधा आपने मुझे
वह
डोर
आपके सांसो की कड़ी का ही
हिस्सा है एक
करती हु महसूस मै  भी
आपके सानिध्य को
अपनी सांसो के साथ हमेशा
बताऊ
आपको
बार-बार
एक अदभूत अहसास
ने दिया  दस्तक
जब-जब
मिली मै आपसे
 स्वीकार
 करने की जरुरत
नहीं समझी  मैंने
क्योकि
जिस बंधन में
बाँधा है हमारे  समाज ने हमें
वहा
यह अहसास 
सहज है

इसीलिए
 अदभूत उस  अहसास को

 स्वीकार करने की जरुरत

नहीं समझी  मैंने
 पर
अहसास का
अहसास दिलाना
जरुरी होता है
प्रेम की
अनुभति के लिए
इसीलिए
आज
आपके जन्मदिन पर
मौन
अपने शब्दों को
तोडकर
पंहुचा रही हु आपतक
अपने ह्रदय का
उद्गार
करते है जितना प्रेम
आप हमसे
उतना ही
ह्रदय धड़कता  है 
  हमारा भी आपके लिए
बधाई  हो आपको
जन्मदिन की
डूबे रहे आप
मुझमे
हमेशा
साथ ही
अपनी जिम्मेदारी का भी
अहसास हो
हमेशा
happy birthday.







 






मंगलवार, 18 सितंबर 2012

पुरानी यादे नया माहोल ............

अचानक मोबाईल की घंटी बजती है। घर से बाहर निकलने की लिए पैर में चप्पल डाल रही थी मै। मोबाईल की आवाज से धयान भंग हुआ। अनमने ढंग से मोबाईल उठाया। बहुत पुरानी से आवाज सुनायी दी। बाहर जाना जरुरी था। पर उस आवाज ने रोक लिया। मै अचकचा कर बैठ गई वही सोफे पर। आवाज आई, भूल गई मुझे?   नहीं नहीं तुझे कैसे भूल सकती मै, बता और क्या हाल है-मैंने पूछा। एक ठहाके की आवाज आई।
 वर्षो बाद सुनी थी मैंने वह आवाज। कभी उस आवाज मे  बसती थी मेरी जान, पर आज जब वर्षो बाद सुनी मैंने वह आवाज तो पुरानी वह कशिश गायब थी। बात का सिलसिला जो थमता नहीं था हमारे बीच, आज शुरू  ही नहीं हो पा रहा था। जैसे तैसे ख़तम हुई हमारी बाते। उसने भी रख दिया मोबाईल, शायद पूरी बात कहे बिना।
बाहर जाने को बढे मेरे कदम रुक गए।
कितना बदल गया माहोल।
नया यह माहोल।
सिमट  गये है हम।

शनिवार, 15 सितंबर 2012

दोस्तो मै एक बार फिर हाजिर  हू अपनी नई  रचना के साथ
विश्वाश है आप मुझे उतना ही प्यार दोगे।

बहुत याद आते हो ------------

आप हमेशा जानना चाहते हो
कितना याद करती हु मै आपको

दिल चीज नहीं कि खोलकर दिखाया जाय
शब्द नहीं हमारे पास कि  जोड़कर पढाया जाय

बस इतना भर कहना है कि

बहुत याद आते हो आप
बहुत याद आते हो आप


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